होगा तो हम ले लेंगे
बंता: डाक्टर साहब! मैं अपना दिमाग दान करना चाहता हूं।डाक्टर: होगा तो हम ले लेंगे।
बंता: डाक्टर साहब! मैं अपना दिमाग दान करना चाहता हूं।डाक्टर: होगा तो हम ले लेंगे।
संता सिंह गोल्फ खेलने का बड़ा शौकीन था। हर रविवार बड़े सवेरे वह गोल्फ क्लब के लिये निकल जाता और फिर रात को ही वापस आता। उसका यह नियम बरसों से चला आ रहा था।
इस रविवार को जब सुबह वह उठा तो पाया कि बाहर जोरों की बारिश हो रही है। तेज हवा भी चल रही थी। वह काफी देर इस उम्मीद से घर के बाहर बरामदे में खड़ा रहा कि शायद क्लब जाने की कोई सूरत बन जाए पर बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी।
संता रात को सोते समय कमरे में दो गिलास रखकर सोता है। एक पानी से भरा हुआ और दूसरा खाली।
क्योंकि उसे यह नहीं पता होता कि रात में प्यास लगेगी या नहीं?
संता- तुम्हारी कार का टायर पंचर कैसे हुआ?
बंता- इक दारु की बोतल इसके नीचे आ गई थी.
संता-तुम्हें बोतल नज़र नहीं आई ?
बंता- बोतल उस बन्दे की जेब में थी जो मेरी कार के नीचे आया था।
बंता एक लड़की से प्यार करने लगा था एक दिन उसने उसे कहा कि कल तुम्हारा बर्थ-डे है और कल मैं तुम्हें एक फूलों का गुलदस्ता भेजूंगा और उसमें उतने फूल भेजूंगा जितनी अभी तुम्हारी उम्र हुई है, हर साल के लिए एक फूल!
शाम को बंता ने एक फूलवाले को बता दिया कि वह सुबह सबसे पहले उसकी गर्ल फ्रेंड के घर फूलों का गुलदस्ता छोड़ दे!
देर रात संता और बंता एक बार में मिले।
संता- तू इतनी रात गए घर से बाहर रहता है तेरी बीवी तो बहुत नाराज होती होगी?
बंता- मेरी शादी नहीं हुई अब तक।
संता- कमाल है! फिर तुझे इतनी रात गए तक घर से बाहर रहने की क्या जरूरत है?