एक आदमी शराबी कि तरह चल रहा था। उसके चेहरे पर साफ गुस्सा नजर आ रहा था। शायद उसके जूते तंग थे। एक हरियाणवी पास से गुजर रहा था। वह रुका और उसने उस आदमी को पूछा - "तुमने ये तंग जूते कहां से खरीदे?"
"हें, तुम्हें इससे से क्या? अपने काम से मतलब रखो!"
जब उसने दोबारा पूछा तो उसने चिढ़कर कहा,- "मैंने इन्हें पेड़ से तोड़ा है! बस अब अपना रास्ता देखो!
"पर मुझे हैरानी है कि तुम्हें ये सब करने कि क्या जरुरत थी?" - हरियाणवी ने कहा!
"कुछ नहीं तुम्हें इससे क्या!"
"मेरे दोस्त तुमने एक गलती कर दी। अगर तुम इन्हें दो तीन महीने बाद तोड़ते तो पक्का ये तुम्हारे पांव के लिए सही होते" - हरियाणवी ने हंसते हुए कहा!
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