बताओ मैं क्या करूं
बंता (संता से)- जब तुम कार चलाते वक्त मोड़ पर तेजी से टर्न लेते हो तो मेरी सांस ही रुक जाती है? तुम ही बताओ मैं क्या करूं?
संता (बंता से)- यार इतना घबराते क्यों हो। तुम भी मेरी तरह आंखे बंद कर लिया करो! बस..
बंता (संता से)- जब तुम कार चलाते वक्त मोड़ पर तेजी से टर्न लेते हो तो मेरी सांस ही रुक जाती है? तुम ही बताओ मैं क्या करूं?
संता (बंता से)- यार इतना घबराते क्यों हो। तुम भी मेरी तरह आंखे बंद कर लिया करो! बस..
संता मुंबई घूमने गया। गेटवे ऑफ इंडिया पर खड़े होकर वह कबूतर देखने लगा।
वहां पुलिस की वर्दी में एक ठग ने उसे टोका।क्या तुम्हें पता नहीं है कि यहां कबूतर देखने के भी पैसे लगते हैं। कितने कबूतर देखें?
संता ने जवाब दिया- जी पंद्रह।
ठग संता से पंद्रह रुपए लेकर चलता बना।वापस लौटकर संता सिंह ने अपनी पत्नी से कहा- मैंने मुंबई में एक पुलिस वाले को ठग लिया।
पत्नी (संता से)- कैसे?
संता- मैंने वहां पच्चीस कबूतर देखे लेकिन रुपए पंद्रह कबूतर के ही दिए।
बंता (संता से)- मैंने शन्नो से वादा किया था कि मैं उसके लिए कोई भी तकलीफ सह सकता हूं, यहां तक कि नरक की यातनाएं भी झेल सकता हूं।
संता (बंता से)- तो फिर, तुमने वो वादा निभाया।
बंता- हां, मैंने उससे शादी जो कर ली।
संता सिंह की नई नौकरी लगी।
पहले दिन संता ने बहुत देर तक काम किया।देर रात तक उसकी टेबल से खटर-पटर की आवाज आती रही।
संता का बॉस उससे बड़ा खुश हुआ।अगले दिन बॉस ने संता को अपने केबिन में बुलाकर पूछा- कल तुमने देर रात तक क्या किया?
संता- कुछ नहीं सर, दरअसल की बोर्ड के एल्फाबेटस क्रम में नहीं थे...उन्हीं को ठीक कर रहा था।
वापसी में गिरा दूं?
संता-अब मैं बहुत तंग आ गया हूं,
कल बीवी को लेकर मनाली जा रहा हूं,
रास्ते में उसे कहीं खाई में गिरा दूंगा!
बंता-मेरी वाली भी ले जा यार, उसे भी किसी गहरी खायी में गिरा देना!
संता (कुछ सोचते हुए)-अगर तू बुरा ना माने तो, तेरी वाली को वापसी में गिरा दूं?
एक दिन संता ने सड़क के किनारे केले का छिलका देखा और बोल उठा, ओह! आज फिर गिरना पड़ेगा..दूसरे दिन उसने दो छिलके देखे तो सोचने लगा इस पर गिरूं या उस पर, तीसरे दिन संता ने बहुत से छिलके देखें।
संता ने अपना पत्नी को फोन करके बताया, आज घर देर से आऊंगा..