एक मशहूर प्रेरक वक्ता ने
समारोह में कहा -
.
.
"मैंने अपनी जिंदगी के सबसे
अच्छे

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साल उस औरत के बाहों मे
गुजारे,

 

 मेरी पत्नी नहीं थी ...।"
.
..

सब एक दम से चुप हो गए। तब
बात आगे बढ़ाते
हुए कहा -
"वह औरत मेरी माँ थी" .
सब ने ख़ूब तालियाँ बजाई.......

वहाँ मौजूद एक नौजवान ने
यही कथन अपने घर में
दारू पीने के बाद
आजमाना चाहा....। . .
.
किचन में
काम कर रही पत्नी के पास
जाकर
बोला - " मैंने
अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे
बरस उस औरत के
बाहों मे गुजारे
जो मेरी पत्नी नहीं थी....।"
.
.
. .
.
.
.
. पर इसके
बाद वह भूल गया और
बुदबुदाया............. - .

. मुझे याद
नहीं आ रही वो औरत कौन
थी.....

बाद मे उसे जब होश
आया तो वो अस्पताल में
था।
उबलते हुए पानी के फेंके जाने
से बुरी तरह
झुलस गया था बेचारा
.
MORAL- don't copy if u
can't paste.

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