माँ का फ़ोन आया "बेटा, इस मंगलवार को छुट्टी लेके घर आ जाना, कुछ जरूरी काम है."
"मम्मी, ऑफिस में बहुत काम है, बॉस छुट्टी नहीं देगा." आँखों से अंगारे बरसाते हुए रावण जैसे प्रतीत हो रहे बॉस की तरफ देखकर मैं जल्दी से फुसफुसाया.
"वो एक रिश्ता आया था तुम्हारे लिये, बड़ी सुंदर लड़की है, सोच रही थी कि एक बार तुम दोनों मिल लेेते तो..."
"अरे माँ, बस इतनी सी बात, तुम कहो और मैं ना आऊँ, ऐसा हो सकता है भला?" मन में फूट रहे लड्डूओं की आवाज छिपाते हुए मैंने जवाब दिया.
बॉस को किसी तरह टोपी पहनाकर, तत्काल कोटा में रिजर्वेशन कराने के बाद सोमवार की रात घर पर पहुँचा.
माँ ने कुछ ज्यादा बात नहीं की, बस खाना परोसा और दूसरे दिन जल्दी उठ जाने को कहा.
सुबह के 4 बजे तक तो नींद आँखों से कोसों दूर थी, फिर आँख लगी तो सुबह 7 बजे मोबाइल के अलार्म के साथ ही नींद खुली.
माँ ने चाय देते हुए कहा, "बाथरूम में कपड़े रखे है ,बदलकर आ जाओ."
बाथरूम में पुरानी टी-शर्ट और शॉर्ट्स देखकर दिमाग ठनका,
बाहर आके पूछा तो माँ ने मनोरम मुस्कान बिखेरते हुए कहा, "घर की सफाई का बोलती तो तू काम का बहाना बनाकर टाल देता, चल अब जल्दी से ये लंबा वाला झाड़ू उठा और दीवार के कोने साफ कर, बहुत जाले हो गये है ।