शिष्य- गुरूजी, यथार्थ और भ्रम में क्या अंतर होता है?

गुरूजी- तुम्हारा यहां उपस्थित रहना और मेरा प्रवचन करना, यथार्थ है लेकिन मेरा यह सोचना कि तुम मेरी बातों पर ध्यान दे रहे हो, भ्रम है!

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