एक साहब का गला बैठ गया बहुत कोशिश की पर आराम नहीं मिला। रात के 2 बजे अपनी बीवी से बोले- कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं?

बीवी बोली- इसमें शर्माने की क्या बात है, सामने ही तो डॉक्टर का घर है, चले जाओ।

साहब बोले- रात के 2 बजे किसी के घर जाते हुए अच्छा नहीं लगता है।

बीवी बोली- डॉक्टर का तो फर्ज यही है। वे कभी भी मरीज को देख सकते हैं, इस बात की उन्हें शपथ दिलाई जाती है।

घबराते-घबराते वे सामने वाले अपार्टमेन्ट में पहुंचे दरवाजा खटखटाया अन्दर से डॉक्टर की बीवी ने पूछा- कौन है ?

साहब (गला बैठी हुई आवाज में)- मैं हूं। आपका पड़ोसी डॉक्टर साहब हैं?

अन्दर से आवाज आयी नहीं हैं, आ जाओ.. !!!

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