प्रेमसुख लाल (पुत्र से)- अच्छा बताओ तो बेटे, तुम बड़े होकर क्या बनोगे?

बेटा- पापा, मैं आपके जैसा डॉक्टर बनूंगा।

प्रेमसुख खुशी से बोला- बहुत अच्छा, डॉक्टर बनकर फिर क्या करोगे?

बेटा- सारे मरीजों को भला-चंगा कर दूंगा।

अब प्रेमसुख निराश होकर बोला- बेटा, फिर तो तुम इंजीनियर ही बनो।

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