लता (सरिता से)- अचानक ही तुम बचत करने लगी हो।

सरिता (लता से)- हां यही मेरे पति कि आखिरी ख्वाहिश थी, डूबते समय वे यही कह रहे थे बचाओ-बचाओ।

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