कवि अपनी बीवी को कविताएं सुनाने लगा तो वह बोली- तुम मुझे कविताएं सुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते..

क्यों, आखिर तुम मेरी पत्‍‌नी हो, तुम ही नहीं सुनोगी, तो फिर कौन सुनेगा? कवि बोला।

मैं स्त्री एवं पुरुषों के समान अधिकारों को पसंद करती हूं। इसलिए मैंने भी आज से कविता लिखना प्रारंभ कर दिया है। लीजिए, मेरी कविता सुनिए, कवि की बीवी कंधे उचकाती हुई बोली।

अरे छोड़ो, मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। चलो, कोई दूसरी बात करते हैं, कवि महोदय ने घबराते हुए कहा।

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