क्या आप बादाम खाते हैं?
पप्पू (दादा जी से) - क्या आप बादाम खाते हैं?
दादा जी (पप्पू से) - नहीं पप्पू, मैं कैसे खा सकता हूं, मेरे तो दांत ही नहीं हैं।
पप्पू - फिर ठीक है, यह बादाम रखिए। मैं स्कूल से आकर आपसे ले लूंगा।
A child is a father of man. So, they say. In their nascent intelligence and various types of analogies the children draw while learning the ways of fending for themselves in this world, there occurs instances and events that will make you laugh. Some of such moments have been captured here.
पप्पू (दादा जी से) - क्या आप बादाम खाते हैं?
दादा जी (पप्पू से) - नहीं पप्पू, मैं कैसे खा सकता हूं, मेरे तो दांत ही नहीं हैं।
पप्पू - फिर ठीक है, यह बादाम रखिए। मैं स्कूल से आकर आपसे ले लूंगा।
बेटा- मां पांच रुपये दे दो।
मां- क्यों?
बेटा- स्कूल में लेट गया था, इसलिए अध्यापक ने 5 रुपये का दंड लगाया है।
मां- तुम स्कूल में पढ़ने जाते हो या लेटने?
वरुण (मां से) - क्या पीला रंग मंहगा मिलता है?
मां (वरुण से) - नहीं। क्यों?
वरुण - पड़ोस वाली आंटी कह रही थी कि बेटी के हाथ पीले करने में लाख-दो लाख तो लग ही जाएंगे।
दर्शनशास्त्र के क्लास में प्रोफेसर ने छात्रों से पूछा, आपकी नजर में वास्तविक और निष्ठावान आशावादी कौन है?
एक छात्र ने उत्तर दिया, सर! वह व्यक्ति जो सालों से गंजा है लेकिन जेब में कंघा लिए घूमता है।
चिंटू- मां, आज मेरा दोस्त घर आ रहा है.. इसलिए मेरे सारे खिलौने छुपा देना।
मां (चिंटू से)- तेरा दोस्त चोर है क्या?
चिंटू- नहीं मां वो अपने सारे खिलौने पहचान जायेगा।
टीचर (अजय से) - अच्छे काम करने वाले सदा स्वर्ग में जाते हैं, बताओ तुम कहां जाओगे।
अजय (टीचर से) - जाने को तो मैं कहीं भी चला जाऊंगा लेकिन मां ने स्कूल से सीधे घर आने को कहा है।