पढ़ने में आसान करने में मुश्किल
अध्यापक (राजू से)- आज का पेपर आसान था या मुश्किल.
राजू (अध्यापक से) पढ़ने में तो आसान था, पर करने में मुश्किल।
A child is a father of man. So, they say. In their nascent intelligence and various types of analogies the children draw while learning the ways of fending for themselves in this world, there occurs instances and events that will make you laugh. Some of such moments have been captured here.
अध्यापक (राजू से)- आज का पेपर आसान था या मुश्किल.
राजू (अध्यापक से) पढ़ने में तो आसान था, पर करने में मुश्किल।
चिंटू- पापा आप प्रेस क्यों कर रहे हो।
पापा- प्रेस करने से सलवटें निकल जाती हैं।
चिंटू- फिर तो अच्छा है पापा मैं दादाजी के गाल की भी सलवटें निकाल दूंगा।
मां- बेटा तुम अपने बाल क्यों नहीं कटवाते?
बेटा- क्यों मां?
मां- बेटा लोग रिश्ते के लिए तुम्हारी बहन को देखने आते हैं और पसंद तुम्हें कर जाते हैं।
राजू अपनी मां से स्कूल ना जाने की जिद कर रहा था। मां उसे समझाते हुए बोली, बेटे स्कूल जाओगे तो बड़ा आदमी बनोगे। तुम्हारे पास बहुत पैसे होंगे, कार होगा। राजू मां की बात मान कर स्कूल चला गया।
क्लास में टीचर ने पूछा- बच्चों बताओ, किताबें कहां मिलती हैं?
एक बच्चा- बुक स्टोर में।
टीचर- कार कहां मिलती है?
राजू- स्कूल में।
अध्यापक (चिंटू से)- 3 जमा 5?
चिंटू- 8
अध्यापक- 7 जमा 3?
चिंटू- 10
अध्यापक- 8 जमा 8?
चिंटू- पता नहीं सर मेरे पास सिर्फ 10 ही उंगली है।
अध्यापिका (चिंटू से)- तुम में कुछ कमियां है।
चिंटू अगले दिन कोट पैंट पहनकर आता है।
अध्यापिका- ये क्या है?
चिंटू- रेमण्ड, द कम्पलीट मैन..