बाहर की चीजें खाने से मना
एक बार एक संता समोसे के बीच के आलु खा रहा था और बाहर के हिस्से को फैंक रहा था।
बंता उससे पूछता हैं कि तुम समोसे के सिर्फ आलु क्यों खा रहे।
संता- डॉक्टर ने मुझे बाहर की चीजें खाने से मना किया हैं।
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एक बार एक संता समोसे के बीच के आलु खा रहा था और बाहर के हिस्से को फैंक रहा था।
बंता उससे पूछता हैं कि तुम समोसे के सिर्फ आलु क्यों खा रहे।
संता- डॉक्टर ने मुझे बाहर की चीजें खाने से मना किया हैं।
एक दिन संता सुबह-सुबह अपने कुत्ते के साथ सैर के लिए निकला।
बंता- ओए, ये सुबह-सुबह गधे के साथ कहा जा रहे हो।
संता (बंता से)- ओए, ये गधा नहीं कुत्ता हैं।
बंता (संता से)- ओए, मैं कुत्ते से ही पूछ रहा हूं।
संता और बंता कुतुबमीनार को देखकर आपस में बातचीत कर रहे थे।
संता (बंता से)- इतनी ऊंची मीनार लिटाकर बनाई गई होगी?
बंता- नहीं बेवकूफ, ये कुआं है, जो उल्टा रखा हुआ है।
बंता (संता से)- ये चाकू क्यों उबाल रहे हो?
संता (बंता से)- आत्महत्या करने के लिए।
बंता- तो फिर उबालने की क्या जरूरत हैं?
संता- कही इंफेक्शन न हो जाए।
संता- ओ यार बंते, एक बात तो बता। अगर मुर्गी एक दिन में दो अंडे देती हैं, तो एक सप्ताह में कितने अंडे देगी?
बंता- ओ, संता तू इतना भी पढ़ा-लिखा नहीं। मुर्गी बारह अंडे देगी।
संता- कैसे यार? सप्ताह में तो सात ही दिन होते हैं, इस हिसाब से तो उसे चौदह अंडे देने चाहिए।
बंता- ओए नहीं यार, रविवार की छुटट्ी भी तो लेगी।
संता-कल मैंने तेरी भाभी को कातिल कहा, उसने खुश होकर मुझे चाय के साथ पकोड़े भी खिलाए।
बंता-बढि़या है यार, मैं भी आज बोलूंगा, लेकिन अंदाज बदल कर। तू तो जानता है, मैं किसी की कॉपी नहीं करता।
संता (अगले दिन)- क्या हुआ, मिले पकोड़े?
बंता- मुझे तो खाना भी नहीं मिला। मैं तो बस कातिल की जगह हत्यारिन बोला।