संता (बंता से) - पहले तो मच्छर सिर्फ रात में काटते थे, अब दिन में भी काटने लगे हैं।
बंता (संता से) - दोस्त, मंहगाई की मार ऐसी ही है कि इंसान तो इंसान मच्छर को भी दिन-रात काम करना पड़ता है।
{widget:social-share-button}
संता (बंता से) - पहले तो मच्छर सिर्फ रात में काटते थे, अब दिन में भी काटने लगे हैं।
बंता (संता से) - दोस्त, मंहगाई की मार ऐसी ही है कि इंसान तो इंसान मच्छर को भी दिन-रात काम करना पड़ता है।
{widget:social-share-button}