पंडितो का एक महीने का त्यौहार चल रहा था जिसमें वो नॉन-वेज नहीं खाते थे.
उनके मोहल्ले मे एक सरदार रहता था। जो हर रोज चिकन बनाकर खाता था।
चिकन की खुशबू से परेशान होकर पंडितो ने महंथ से शिकायत की।
महंथ ने सरदार जी को कहा कि तुम भी पंडित बन जाओ जिससे किसी को आपसे कोई समस्या ना हो।
हमारे सरदार जी मान गए। तो महंथ ने सरदार जी पर गंगा जल छिडकते हुए संस्कृत में कहा:
"तुम पैदा सिख हुए थे पर अब तुम पंडित हो "
अगले दिन फिर सरदार जी के घर से चिकन की खुशबू आई तो सब पंडितो ने महंथ से उसकी फिर शिकायत की।
अब महंथ पंडितो को साथ लेकर सरदार जी के घर में गए तो देखा, सरदार जी चिकन पर गंगा जल छिडक रहे थे और कह रहे थे,
" तुम पैदा मुर्गे हुए थे पर अब तुम आलू हो "
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