इससे सिद्ध होता है कि
दर्शनशास्त्र की कक्षा में प्रोफेसर साहब भगवान के अस्तित्व के संबंध में पढ़ा रहे थे।
"क्या आप में से किसी ने भगवान की आवाज सुनी है?" - प्रोफेसर ने छात्रों से सवाल किया।
कोई नहीं बोला।
"क्या किसी ने भगवान को छुआ है?"
फिर से, कोई नहीं बोला।
"क्या किसी ने भगवान को देखा है?"
जब इस बार भी छात्रों की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो प्रोफेसर साहब बोले- "इससे सिद्ध होता है कि भगवान नहीं है।"