अंधेरे में दिखाई कैसे देगा
संता (बंता से)-भाई रात में सुर्य क्यों निकलता है?
बंता (संता से)-निकलता तो है।
संता (बंता से)- फिर दिखाई क्यों नहीं देता?
बंता (संता से)- अरे अंधेरे में दिखाई कैसे देगा?
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संता (बंता से)-भाई रात में सुर्य क्यों निकलता है?
बंता (संता से)-निकलता तो है।
संता (बंता से)- फिर दिखाई क्यों नहीं देता?
बंता (संता से)- अरे अंधेरे में दिखाई कैसे देगा?
संता (बंता से)- यार कल ट्रेन में मैं सारी रात सो नहीं पाया।
बंता (संता से)- क्यों?
संता (बंता से)- अरे वो ऊपर की बर्थ जो मिली थी।
बंता (संता से)- तुमने बदली क्यों नहीं?
संता (बंता से)- अरे नीचे की बर्थ में कोई था ही नहीं बदली करने को।
संता धीरे-धीरे कुछ लिख रहा था।
संता (बंता से)- इतने धीरे क्या लिख रहे हो?
बंता (संता से)- अपने सात साल के बेटे पत्र लिख रहा हूं वो अभी छोटा है वो तेज नहीं पढ़ सकता ना।
संता सिंह बनियान खरीदने दुकान पहुंचा।
संता सिंह (दुकानदार से)- ये बनियान कितने की है?
दुकानदार (संता से)- तीन सौ की।
संता सिंह (दुकानदार से)- अरे भाई डेलीवियर दिखओ पार्टी वियर नहीं।
संता टूरिस्ट दिल्ली गए। घंटाघर के पास उन्हें लगातार घड़ी की ओर निहारता देख एक व्यक्ति ने उन्हें प्रस्ताव दिया, 'आप यह घड़ी खरीद सकते हैं, लाइए हजार रुपए।'
संता टूरिस्ट प्रसन्न हुए और फौरन हजार रुपए निकालकर दे दिए। वह व्यक्ति 'अभी सीढ़ी लाता हूं' कहकर गायब हो गया। काफी देर इंतजार करने के बाद संता को आभास हुआ कि वह ठगे गए। निराश होकर वह वापस होटल चले गए। अगले दिन उसी जगह फिर से घड़ी देखते हुए वही व्यक्ति उन्हें मिल गया और उसने फिर से वही प्रस्ताव दिया।
बंता (संता से)- अरे यार तुम हर एसएमएस को दो बार क्यों भेजता है?
संता (बंता से)- क्योंकि अगर तुझे एक फोरवर्ड करना पड़े तो दूसरा तेरे पास रहे।